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जनवरी 13, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अच्छी खबर

यह विश्वास बना रहे मनोज कुमार भारतीय स्त्रियों के चरित्र पर विश्वास जताते हुए अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि भारतीय नारी पर संदेह नहीं किया जा सकता है। वे अपने खिलाफ बलात्कार का मामला यूंह ी दर्ज नहीं कराती हैं। अदालत ने यह टिप्पणी कर भारतीय स्त्री के गौरव को द्विगुणित किया है और कहना न होगा कि इससे भारतीय समाज का सिर गर्व से ऊंचा उठा है। भारतीय संस्कृति में स्त्रियों को सनातन काल से सर्वोपरि माना गया है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में तब स ेअब तक पूजा जाता रहा है। यकिनन समय के बदलाव के साथ सोच में परिवर्तन आया है और समाज स्त्रियों को नयी भूमिका में देख रहा है। कल तक घर की चहारदीवारी के भीतर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने वाली स्त्री आज आफिसों में अपने दायित्वों को निभा रही हैं। उनकी नयी जिम्मेदारियों के साथ उनके पहनावे में भी परिवर्तन आया है और महज पहनावा को ही यह मान लिया गया कि स्त्री बदल गयी है। उसके चरित्र पर अकारण लांछन लगाया जाने लगा। एक मामला पत्रकारिता की एक छात्रा के साथ पिछले दिनों सामने आया था। यह सब कुछ कुछ मानसिक रूप से बीमार लोगों की करतूतें हैं। स्त्री आज