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मार्च 21, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Aaj-Kal

सत्ता के आगे देश बौना मनोज कुमार भारत के इतिहास में पहली दफा यह हुआ होगा कि किसी रेलमंत्री को बजट पेश करने के साथ ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। दिनेश त्रिवेदी नाम का यह रेलमंत्री ममता बेनर्जी की सरपरस्ती वाले तृणमूल कांग्रेस से सांसद थे। इसके पहले ममता बेनर्जी स्वयं रेलमंत्री थीं। रेलमंत्री की हैसियत से उन्होंने रेलवे की हालत को सुधार करने के लिये कुछ किराया बढ़ाया था जबकि पूर्ववर्ती रेलमंत्री ममता बेनर्जी ने बीते आठ बरसों में एक टका भी रेलभाड़े में बढ़ोत्तरी नहीं की थी। त्रिवेदी का यह फैसला उन्हें नागवर गुजरा और उन्हें पद से हटने का फरमान जारी कर दिया। त्रिवेदी ने साफ कह दिया कि उनका फैसला देशहित में है। वे पार्टी और पद से ऊपर देश को मानते हैं और उनका फैसला इसी के मद्देनजर लिया गया है। ममता हठ के आगे त्रिवेदी को जाना पड़ा। यह ठीक है कि इस पूरे मामले में थोड़ा समय गुजर जाने के बाद धूल पड़ जाएगी और लोग यह भूल भी जाएंगे। जिस दौर में नायक तो दूर नेता नहीं मिल रहे हैं, उस दौर में त्रिवेदी एक आशा की किरण बनकर उभरे थे। उनका कुर्सी चला जाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि केन