सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जुलाई 29, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

sarokar

बंदूक का जवाब कलम से -राजेन्द्र छत्तीसगढ़ में बंदूक का जवाब कलम से देने के प्रयास में सरकार जुटी हुई है। जो बच्चे नक्सली इलाकों में शिक्षा से दूर होते जा रहे थे, उनके लिये सरकार ने विशेष प्रयास आरंभ कर उन्हें वापस स्कूल भेजने का इंतजाम किया है। शांति के लिये प्रतिबद्ध वनपुत्रों ने भी सरकार के साथ इस मुहिम में साथ देने के लिये निश्चय किया और निकल पड़े सरकार के साथ। देखते ही देखते स्थितियां बदलने लगी। स्कूलों से दूर होते बच्चों के हाथों में किताब-कलम थी और चेहरे पर कामयाबी की मुस्कान। बोर्ड परीक्षा में इन बच्चों ने कमाल कर दिखाया। प्रथम श्रेणी में आने वाले इन उस्तादों ने प्राप्तांक को इतना छू लिया कि यह हर किसी के लिये अचंभा था। कामयाबी इसलिये महत्वपूर्ण् है कि ये बच्चे उन लोगों में शामिल नहीं हैं जिन्हें हर किस्म की सुविधाएं मिल रही हैं, ये वो बच्चे हैं जिनके पांव के आसपास हमेशा डर की डोरी बंधी रहती है। डर को कलम से मात देकर उन्होंने एक नया सबक समाज को सिखाया है। नक्सली हिंसा में अपने माता-पिता को खोने वाले इन अनाथ बच्चों के साहस की जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है। बस्तर के अंदरूनी इला