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अप्रैल 29, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

aaj-kal

प्रताड़ना के औजार मनोज कुमार स्त्री को प्रताड़ित करने के लिये समाज ने कई तरह के औजार एकत्र कर लिये हैं। उसके जन्म से मृत्यु तक ऐसे अनेक औजार हैं जिन्हें वह समय समय पर रूप बदल बदल कर उपयोग में लाता रहा है। भ्रूण हत्या एक औजार है तो बाल विवाह दूसरा औजार और इससे भी बात न बने तो चरित्रहीन, डायन कहकर स्त्री को मरने के लिये छोड़ दिया जाए। विधवा स्त्री के जीवन का सच और उसके लिये प्रताड़ना का औजार तो पहले से तैयार है। किसी समय, कहीं कहीं आज भी सती नाम से एक औजार उपयोग में आ रहा है। प्रताड़ना के औजार के खिलाफ कागज पर कानून बनते रहे हैं किन्तु सच में औजार अपना काम निर्बाध रूप से कर रहा हैं। लगभग पांच बरस हो गए छत्तीसगढ़ की सरकार ने स्त्री प्रताड़ना के उस औजार को भोथरा करने के लिये टोनही निरोधक कानून बनाया था लेकिन आज भी स्त्री टोनही के नाम पर सार्वजनिक प्रताड़ना का षिकार हो रही हैंं। कहीं कहीं तो नौबत जान देने की आ जाती है। अब राजस्थान सरकार ने इसी औजार को भोथरा करने के लिये डायन कहने, प्रताड़ित करने या ऐसा कुछ करने के लिये कठोर कानून बनाने जा रही है। हम तो उम्मीद कर सकते हैं कि स्त्री प्रताड़ना का यह औ