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अक्तूबर 21, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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अरे ये क्या हो गया? रिपोर्टर मध्यप्रदेश के प्रभावशाली आइएएस मनोज श्रीवास्तव को जब संस्कृति सचिव के पद से मुक्त किया गया तो गूंज उठी कि मुख्यमंत्री और उनके बीच थोड़ी दूरी बन गई है और जल्द ही वे आयुक्त जनसम्पर्क के पद से भी मुक्त कर दिये जाएंगे। कयासों का दौर अभी शुरू ही हुआ था कि मुख्यमंत्री ने अचानक एलान कर दिया कि प्रदेश में भूमि घोटाले की जांच आइएएस मनोज श्रीवास्तव करेंगे। इसके लिये एक सदस्यीय जांच समिति बनायी गयी जिसमें वे अकेले रहेंगेे।मुख्यमंत्री के इस फरमान से कई की जान अधर में लटक गई। कहां तो तय था कि श्रीवास्तवजी के पर कतरे जाएंगे कहां उन्हें उड़ने के लिये पूरा आसमान दे दिया गया। आइएएस आफिसरों में इसकी धमक तो हुई होगी,उससे कहीं ज्यादा मीडिया और राजनीतिक प्रेक्षकों के बीच हुई है। श्रीवास्तवजी से सद्भावना रखने वालांे को मुख्यमंत्री का यह एलान दीपावली के तोहफे की तरह है तो उनसे मनभेद रखने वालों के लिये अब समस्या खड़ी हो गई है कि वापस पटरी कैसे बिठायी जाए। यूं भी मुख्यमंत्री प्रदेश के हित में अफसरशाही मंे फेरबदल करते रहे हैं। दर्जनों आफिसर इधर से उधर कर दिये गये लेकिन किसी की सेहत पर