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अक्षय तृतीया : जीवन की सीख देेते पर्व

अनामिका भारतीय समाज की संस्कृति एवं सभ्यता हजारों सालों से अक्षय रही है. पर्व एवं उत्सव भारतीय समाज की आवश्यकताओं और उनमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाये गए हैं. लोगों में अपनी संस्कृति एवं साहित्य के प्रति अनुराग बना रहे, इस दृष्टि से भी कोशिश हुई है। इन्हीं में से एक है अक्षय तृतीया. अक्षय तृतीया का अनेक महत्व है. अपने नाम के अनुरूप कभी क्षय अर्थात नष्ट ना होने वाली संस्कृति. भारतीय समाज में माना गया है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त किया जा सकता है. अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन