भारत में हिंदी पत्रकारिता में तारीख 30 मई 1826 मील का पत्थर है. इस दिन पहला हिंदी समाचार पत्र का प्रकाशन आरम्भ हुआ था. तब से लेकर आज तक हिंदी पत्रकारिता ने अनेक मानक गढ़े है. इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दौर आया और अब हम सोशल मीडिया की जद में हैं. कहना होगा कि कहाँ से चले थे हम और कहाँ पहुंच गए... ठोंकने की पत्रकारिता अब निपटाने की मीडिया में बदल रही है.. कुछ इस बदलते दौर की कहानी कह रहा है शोध पत्रिका "समागम"
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
वो ना आए तोगुस्सा, वो आए तो भी
प्रो. मनोज कुमार अरे यार, क्या लिखते हैं? क्या छापते हैं? समझ में नहीं आता कैसी पत्रकारिता कर रहे हैं. सब बिक गए हैं. ढोल पीट रहे हैं...
-
-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे। किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आस...
-
मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का र...
-
-मनोज कुमार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या मुद्रित माध्यमों का व्यवसायिकरण. इस बात में अब कोई दो राय नहीं है कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या मुद्रि...