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मैं और मेरे से मुक्त, हमारा मध्यप्रदेश

 मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर विशेष मनोज कुमार एक बार फिर खुशियों ने दस्तक दी है. कामयाबी से भरे जश्र के साथ मध्यप्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस कई मायनों में इसलिए भी अर्थ पूर्ण हो जाता है कि अपने जन्म के साथ विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए कामयाबी के पथ पर आगे बढ़ता रहा है. आज ही के दिन 1 नवम्बर, 1956 को जब मध्यप्रदेश ने आकार लिया था तब स्वयं को स्थापित करने की एक बड़ी चुनौती उसके समक्ष थी. भौगोलिक रूप से छिन्न-भिन्न अवस्था में मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ था लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ल से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ऐसे शिल्पकार बने जिन्होंने ना केवल मध्यप्रदेश को दिशा दी बल्कि देश के विकसित प्रदेशों के समकक्ष खड़ा हो गया. एक बडौल प्रदेश से देश के ह्दय प्रदेश बन जाने वाला मध्यप्रदेश की यात्रा कभी कंटक भरी रही तो कभी दूसरों के लिए रोल मॉडल के तौर पर अपनी आमद दी है. आज सचमुच में खुशियों का दिन है क्योंकि हम सब की सरजमीं जिसकी वजह से हमारी पहचान है, उसका जन्म दिन मना रहे हैं. मध्यप्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है और यह सच भी है. आप देश के