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अगस्त 29, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

nathaa

नत्था के आगे क्या होगा ओंकारदास मानिकपुरी का? मनोज कुमार लगभग अनजाना सा एक लोककलाकार रातोंरात सुपरस्टार बन जाता है। सालांे से परदे के पीछे छिपे इस कलाकार की प्रतिभा किसी ने न देखी और न दिखायी दी। आमिर खान को धन्यवाद किया जाना चाहिए कि उसने छत्तीसगढ़ की माटी से हीरा तलाश कर करोड़ों दर्शकों तक पहुंचाया। आमिर के इस प्रयास के बाद भी ओंकारदास मानिकपुरी आज भी गुमनाम है। कोई जानता है और पहचानता है तो नत्था को। यह पहचान का संकट अकेले ओंकारदास मानिकपुरी का नहीं है बल्कि पहचान का यह संकट हर लोककलाकार के सामने है। इन संकटों में एक बड़ा संकट तो मैं यह देख रहा हंू कि आमिर खान ने पीपली लाइव बनाकर ओंकारदास को नत्था बना कर एक पहचान दिला दी किन्तु अब नत्था उर्फ ओंकारदास को और कितनी फिल्में मिल पाएंगी? कितने फिल्मकारों को नत्था की जरूरत होगी? क्या इनमें से कोई आमिर खान की तरह नत्था का उपयोग कर पाएगा? जवाब भी ओंकारदास के पहचान की तरह गुमनाम है। ओंकारदास पहले लोककलाकार नहीं हैं जिन्हें यह ख्याति मिली। इसके पहले भी और लोक कलाकार हैं जिन्हें यह अवसर मिला किन्तु इसके बाद वे गुमनामी के अंधेरे में डूब गये। ओंकारद