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नवंबर 30, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सवाल जिम्मेदारी क

-मनोज कुमार आज के बच्चे हम लोगों की तरह सवाल नहीं करते हैं. वे अपने सवालों के जवाब ढूंढऩे के लिये मां-बाप से पहले इंटरनेट का सहारा लेते हैं. मेरी 14 साल की बिटिया भी इन बच्चों से अलग नहीं है लेकिन मैंने अपने परिवार का जो ताना-बाना बुन रखा है, उसमें इंटरनेट को ज्यादा स्पेस नहीं मिल पाता है और वह अक्सर मुझसे ही सवाल करती है. यह सवाल थोड़ा मेरे लिये कठिन था लेकिन सोचने के लिये मजबूर कर गया. भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को एक व्यवसायिक विज्ञापन करते देख उसने पूछ लिया कि पापा, ऐसे में तो इस प्रोडक्ट की सेल तो अधिक होगी क्योंकि इसका विज्ञापन सचिन कर रहे हैं. मैंने कहा, हां, यह संभव है तो अब उसका दूसरा सवाल था कि भारत रत्न होने के बाद भी सचिन क्या ऐसा विज्ञापन कर सकते हैं? यह सवाल गंभीर था. कुछ देर के लिये मैं भी सोच में पड़ गया. फिर बिटिया से कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन क्यों? बिटिया के इस पूरक प्रश्र ने मुझे उलझा दिया. मैंने कहा कि सचिन जैसे लोग हमारे आदर्श होते हैं. वे जैसा करते हैं, समाज उसका अनुसरण करता है. यह ठीक है कि सचिन जिस प्रोडक्ट का विज्ञापन कर रहे हैं, वह गुणवत्तापू