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नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता से सिरमौर स्वच्छ मध्यप्रदेश

  मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार                    स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का रिकार्ड इंदौर के नाम पर दर्ज हो गया है. स्वच्छ मध्यप्रदेश का तमगा मिलते ही मध्यप्रदेश का मस्तिष्क गर्व से ऊंचा हो गया है. यह स्वाभाविक भी है. नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता के कारण मध्यप्रदेश के खाते में यह उपलब्धि दर्ज हो सकी है. स्वच्छता गांधी पाठ का एक अहम हिस्सा है. गांधी जी मानते थे कि तंदरूस्त शरीर और तंदरूस्त मन के लिए स्वच्छता सबसे जरूरी उपाय है. उनका कहना यह भी था कि स्वच्छता कोई सिखाने की चीज नहीं है बल्कि यह भीतर से उठने वाला भाव है. गांधी ने अपने जीवनकाल में हमेशा दूसरे यह कार्य करें कि अपेक्षा स्वयं से शुरूआत करें के पक्षधर थे. स्वयं के लिए कपड़े बनाने के लिए सूत कातने का कार्य हो या लोगों को सीख देने के लिए स्वयं पाखाना साफ करने में जुट जाना उनके विशेष गुण थे. आज हम गौरव से कह सकते हैं कि समूचा समाज गांधी के रास्ते पर लौट रहा है. उसे लग रहा है कि जीवन और संसार बचाना है तो एकमात्र रास्ता गांधी का है.                    लगातार सातवीं बार