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जनवरी 29, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Mahtma Gandhi

साथियों, आज उस महात्मा की पुण्यतिथि है जिन्हें हम महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं। महात्मा को भारतीय पत्रकारिता के एक छोटे से प्रतिनिधि की हैसियत से इस लेख के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। महात्मा की पत्रकारिता दिल्ली से देहात के बीच -मनोज कुमार महात्मा की पत्रकारिता और वर्तमान समय को लेकर विमर्श हो रहा है और यह कहा जा रहा है कि महात्मा की पत्रकारिता का लोप हो चुका है। बात शायद गलत नहीं है किन्तु पूरी तरह ठीक भी नहीं। महात्मा की पत्रकारिता को एक अलग दृष्टि से देखने और समझने की जरूरत है। महात्मा की पत्रकारिता दिल्ली से देहात तक अलग अलग मायने रखती है। पत्रकारिता का जो बिगड़ा चेहरा दिख रहा है वह महानगरीय पत्रकारिता का है। वहां की पत्रकारिता का है जिन्हें एयरकंडीशन कमरों में रहने और इसी हैसियत की गाड़ियों में घूमने का शौक है। पत्रकारिता का चेहरा वहां बिगड़ा है जहां पत्रकार सत्ता में भागीदारी चाहता है और यह भागीदारी महानगर में ही संभव है। दिल्ली से देहात की पत्रकारिता के बीच फकत इसी बात का फरक है। दिल्ली की पत्रकारिता से महात्मा पत्रकार दूर हैं तो देहाती पत्रकारिता में वे आ