सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर 8, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पेड-न्यूज बनाम बिकी हुई खबर

मनोज कुमार पत्रकारिता अपने आरंभ से ही आरोपों से घिरी रही है. पत्रकारिता पर यह आरोप उसके कार्यों को लेकर नहीं बल्कि पत्रकारिता की सक्रियता से जख्मी होते लोग आरोप लगाते रहे हैं. पत्रकारिता पर जैसे-जैसे आरोप तेज होता गया, पत्रकारिता उतनी ही धारदार होती गयी. किसी समय में पत्रकारिता पर पीत पत्रकारिता का आरोप लगता था. पीत पत्रकारिता अर्थात पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी के खिलाफ अथवा पक्ष में लिखा जाना. अंग्रेजी में इसे यलो जर्नलिज्म कहा गया. समय गुजरने के साथ पीत पत्रकारिता अथवा यलो जर्नलिज्म का अस्तित्व ही समाप्त हो गया लेकिन लगभग दो दशक पहले पत्रकारिता के समक्ष पेडन्यूज नाम एक नया आरोप सामने आया. देहात से दिल्ली तक सबकी जुबान पर पेडन्यूज नामक का एक कथित जुर्म पत्रकारिता के साथ चिपका दिया गया. पेडन्यूज क्या है, जब यह किसी से पूछा जाये तो शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इसका सही और सटीक जवाब दे सके. पेडन्यूज अंग्रेजी का शब्द है और मैं एक पत्रकार होने के नाते इस शब्द का हिन्दी अर्थ तलाश करने में लग गया. किसी ने कहा कि पेडन्यूज का अर्थ बिकाऊ खबर है तो किसी ने इसे बिकी हुई खबर कहा लेकिन इन