13 फरवरी विश्व रेडियो दिवस पर विशेष मनोज कुमार कभी नागर समाज के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक होने वाला रेडियो आज समुदाय के रेडियो के रूप में बज रहा है। समय के विकास के साथ संचार के माध्यमों में परिवर्तन आया है और उनके समक्ष विश्वसनीयता का सवाल खड़ा है तो रेडियो की विश्वसनीयता के साथ उसका प्रभाव भी समूचे समाज पर है। ऑल इंडिया रेडियो से आकाशवाणी का नाम धर लेने के बाद एफएम रेडियो और सामुदायिक रेडियो की दुनिया का अपरिमित विस्तार हुआ है। करीब ढाई सौ वर्षों से प्रिंट मीडिया का एकछत्र साम्राज्य था जिसे कोई पांच दशक पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया के आगमन के साथ चुनौती मिली। इन माध्यमों के साथ रेडियो का संसार अपने आप में अकेला और अछूता था। अपने जन्म के साथ रेडियो प्रामाणिक एवं उपयोगी रहा है और नए जमाने में रेडियो की सामाजिक उपयोगिता बढ़ी है। रेडियो क्यों उपयोगी है और रेडियो की दुनिया किस तरह बढ़ती गई है, इसके बारे में विस्तार से चर्चा करना जरूरी होता है। महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों तक पहुंचने के लिए संचार माध्यम में रेडियो को चुना। रेडियो अपने जन्म से विश्वसनीय रह
मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का रिकार्ड इंदौर के नाम पर दर्ज हो गया है. स्वच्छ मध्यप्रदेश का तमगा मिलते ही मध्यप्रदेश का मस्तिष्क गर्व से ऊंचा हो गया है. यह स्वाभाविक भी है. नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता के कारण मध्यप्रदेश के खाते में यह उपलब्धि दर्ज हो सकी है. स्वच्छता गांधी पाठ का एक अहम हिस्सा है. गांधी जी मानते थे कि तंदरूस्त शरीर और तंदरूस्त मन के लिए स्वच्छता सबसे जरूरी उपाय है. उनका कहना यह भी था कि स्वच्छता कोई सिखाने की चीज नहीं है बल्कि यह भीतर से उठने वाला भाव है. गांधी ने अपने जीवनकाल में हमेशा दूसरे यह कार्य करें कि अपेक्षा स्वयं से शुरूआत करें के पक्षधर थे. स्वयं के लिए कपड़े बनाने के लिए सूत कातने का कार्य हो या लोगों को सीख देने के लिए स्वयं पाखाना साफ करने में जुट जाना उनके विशेष गुण थे. आज हम गौरव से कह सकते हैं कि समूचा समाज गांधी के रास्ते पर लौट रहा है. उसे लग रहा है कि जीवन और संसार बचाना है तो एकमात्र रास्ता गांधी का है. लगातार सातवीं बार