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6 फरवरी, लता और प्रदीप यादों का सिलसिला

मनोज कुमार संगीत के दुनिया के कवि प्रदीप और लताजी दो ऐसे सितारे हैं जो कभी अस्त नहीं होते हैं। 6 फरवरी भारतीय संगीत की दुनिया में बेमिसाल तारीख के रूप में याद किया जाएगा। यह तारीख 2022 के पहले अमर गीतकार प्रदीप के नाम पर था जो आज के दिन ही जन्मे थे तो यह तारीख हर साल मन को पीड़ा देती रहेगी कि इस दिन लताजी हमसे जुदा हुई थी। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों.. जरा आंख में भर लो पानी...’ प्रदीप की अमर रचना थी तो लताजी की आवाज ने उसे चिरस्थायी बना दिया था। आज हमारे बीच ना प्रदीप रहे और ना लता जी लेकिन हर पल वे हमारे बीच बने रहेंगे। खैर, अब उन बातों का स्मरण करते हैं जिन्होंंने ‘लतिका’ से लता बनी। लता मंगेशकर के बारे में इतना कुछ लिखा गया, बोला गया और सुना गया कि अब कुछ शेष नहीं रह जाता है। संगीत की दुनिया से इतर लताजी अपने पीछे जो अपनों के लिए अपनापन छोड़ गईं हैं, उन पर लिखना शेष है। लता जी का बचपन किन संकटों से गुजरा और कैसे उन्होंने यह मुकाम पाया, इसकी कहानी भी अनवरत लिखी गई है लेकिन लोगों को यह बात शायद याद में ना हो कि लता ने जिस शिद्दत के साथ अपनी हर सांस संगीत को समर्पित कर दिया था, उसी शिद्दत