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दिव्यांगों की जिंदगी ने पकड़ी रफ्तार

-अनामिका दिव्यांग विजय के लिए यह सब कुछ एक सपना सच होने की तरह है. उसे कभी यकीन भी नहीं था कि उसकी जिंदगी कभी रफ्तार भर सकेगी लेकिन आज लोग उसे देखकर दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं. यही नहीं, वह समाज में और के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है जब लोग कहते हैं कि विजय जब नि:शक्ता को ठोकर मारकर जिंदगी में कामयाबी हासिल कर सकता है तो हम सशक्त क्यों नहीं. विजय की कहानी रोमांचक नहीं है. एक मध्यम आय वर्गीय परिवार का यह चिराग पोलियो के कारण अपने पैरों की ताकत खो चुका था. पैरों में भले ही वह ताकत न हो लेकिन मन में हौसला कहीं ज्यादा था. जिंदगी को उसने बोझ नहीं माना और खुद पर भरोसा कर बिजली मैकेनिक के रूप में ख्याति अर्जित कर ली. कुछ इसी तरह की कहानी उस मासूम करन की भी है जो 5वीं कक्षा का विद्यार्थी है लेकिन विजय की तरह पोलियो का शिकार है. स्कूल तो जाता है लेकिन कई तरह की मुसीबतें उसका पीछा किया करती थी लेकिन आज सारी मुसीबतों का अंत हो गया है. विजय की तरह वह भी मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह के प्रयासों से बैटरी चलित ट्रायसायकिल पाकर कामयाबी की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा है. विजय राजनांदगांव जिले