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जनवरी 5, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिर से ऑनलाइन हो जाने का वक्त

  फिर से ऑनलाइन हो जाने का वक्त मनोज कुमार कोरोना की पहल लहर को हमने बहुत हल्के में लिया था और दूसरी लहर के मुकाबले उसने उतना नुकसान नहीं किया था। दूसरी लहर को भी हमने पहली लहर की तरह हल्के में लिया और हम सब पर कयामत टूट पड़ी। तीसरी लहर सिर पर खड़ी है और रोज-ब-रोज बदलती जानकारियां भ्रमित कर रही हैं। इन सबके बावजूद इस अंदेशे से इंकार करना मुश्किल है कि कोरोना की यह तीसरी लहर हमें नुकसान पहुंचाये बिना ही गुजर जाएगी। बड़े-बुर्जुगों ने कहा भी है कि दुघर्टना से सर्तकता भली और यह समय कह रहा है कि हम सम्हल जाएं, सर्तक हो जाएं। निश्चित रूप से जब हमारी दिनचर्या बदलती है तो कई तरह की परेशानी आती है लेकिन जान है तो जहान है, इस बात का खयाल रखना होगा। सरकार और उसका तंत्र पहले की तरह अपना काम कर रहा है लेकिन हम सर्तक नहीं रहेंगे तो हमारी-आपकी या हमारे लोगों की जिंदगी पर ही खतरा आना है। दवा, इलाज, डॉक्टर, ऑक्सीजन तो तभी कारगर होंगे जब स्थिति नियंत्रण में होगी। जैसा कि दूसरी लहर में चौकचौबंद व्यवस्था धरी रह गई क्योंकि इंतजाम से ज्यादा बीमारों की संख्या हो गई थी। एक बार फिर हम सबको अपने स्तर पर चेत जान