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न्यायप्रिय और शौर्य की प्रतिमूर्ति महाराज विक्रमादित्य

विक्रमोत्सव-2025 के अवसर पर विशेष लेख न्यायप्रिय और शौर्य की प्रतिमूर्ति महाराज विक्रमादित्य मनोज कुमार भारतवर्ष का इतिहास अनेक न्यायप्रिय और अदम्य साहस दिखाने वाले शासकों से पुष्पित-पल्लवित है। दुर्भाग्य से ऐसे शासकों के प्रति हमारी नवागत पीढ़ी अनजान सी है या उन्हें आधी-अधूरी जानकारी दी गई। मालवा के महाराज विक्रमादित्य से भला कौन परिचित नहीं है? लेकिन नवागत पीढ़ी को यह नहीं मालूम कि विक्रमादित्य के शौर्य भारत के अलावा आसपास के देशों में भी रहा है। विक्रमादित्य पर विपुल साहित्य लिखा गया। महाराज विक्रमादित्य ने किस तरह विक्रम संवत की स्थापना की। विक्रम सम्वत् का प्रवर्तन विक्रमादित्य द्वारा उज्जैन से किया गया। उज्जैन परम्परा से ही काल गणना का एक प्रमुख केंद्र माना जाता रहा और इसीलिए अरब देशों में भी उज्जैन को अजिन कहा जाता रहा। सभी ज्योतिष सिद्धांत ग्रंथों में उज्जैन को मानक माना गया है। आज जो वैश्विक समय के लिए ग्रीनविच की स्थिति है, वह ज्योतिष के सिद्धांत काल में और उसके बाद सैंकड़ों वर्षों तक उज्जैन की रही। यह भी निर्विवाद है कि ज्योतिर्विज्ञान उज्जैन से यूनान और एलेक्जेंड्रिया पहुँच...