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मई 25, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ताक में पत्रकारिता, तकनीकी का दौर

मनोज कुमार साल 1826, माह मई की 30 तारीख को ‘उदंत मार्तंड’ समाचार पत्र के प्रकाशन के साथ हिन्दी पत्रकारिता का श्रीगणेश हुआ था. पराधीन भारत को स्वराज्य दिलाने की गुरुत्तर जवाबदारी तब पत्रकारिता के कांधे पर थी. कहना न होगा कि हिन्दी पत्रकारिता ने न केवल अपनी जवाबदारी पूरी निष्ठा के साथ पूर्ण किया, अपितु भविष्य की हिन्दी पत्रकारिता के लिये एक नयी दुनिया रचने का कार्य किया. स्वाधीन भारत मेंं लोकतंत्र की गरिमा को बनाये रखने तथा सर्तक करने की जवाबदारी हिन्दी पत्रकारिता के कांधे पर थी. 1947 के बाद से हिन्दी पत्रकारिता ने अपनी इस जवाबदारी को निभाने का भरसक यत्न किया किन्तु समय गुजरने के साथ साथ पत्रकारिता पहले मिशन से प्रोफेशन हो गई और बाद के समय में पत्रकारिता ने मीडिया का रूप ले लिया. इस बदलाव के दौर में हिन्दी पत्रकारिता की भाषा गुम हो गई और पत्रकारिता की टेक्नालॉजी के स्थान पर टेक्नालॉजी की पत्रकारिता की जाने लगी. अर्थात पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों और मूल्यों को तज कर हम तकनीकी पत्रकारिता के दौर में पहुंच गये हैं. तकनीकी पत्रकारिता ने ही पत्रकारिता को मीडिया के स्वरूप में परिवर्ति