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छत्तीसगढ़ में देवी उपासना के शक्तिपीठ

-अनामिका नवरात्रि का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व है। प्राचीन काल में देवी के मंदिरों में जवारा बोई जाती थी और अखंड ज्योति कलश प्रज्वलित की जाती थी। यह परम्परा आज भी अनवरत जारी है। ग्रामीणों द्वारा माता सेवा और ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तमी का पाठ और भजन आदि की जाती है। छत्तीसगढ़ में अनादिकाल से शिवोपासना के साथ साथ देवी उपासना भी प्रचलित थी। शक्ति स्वरूपा मां भवानी यहां की अधिष्ठात्री हैं। यहां के सामंतों, राजा-महाराजाओं, जमींदारों आदि की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित आज श्रद्धा के केंद्र बिंदु हैं। छत्तीसगढ़ में देवियां अनेक रूपों में विराजमान हैं। छत्तीसगढ़ में शक्ति पीठ और देवियों की स्थापना को लेकर अनेक किंवदंतियां प्रचलित है। देवियों की अनेक चमत्कारी गाथाओं का भी उल्लेख मिलता है। इसमें राजा-महाराजाओं की कुलदेवी द्वारा पथ प्रदर्शन और शक्ति प्रदान करने से लेकर लड़ाई में रक्षा करने तक की किंवदंतियां यहां सुनने को मिलती है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में रतनपुर, चंद्रपुर, डोंगरगढ़, खल्लारी और दंतेवाड़ा प्रमुख है- रतनपुर में महामाया, चंद्रपुर में चंद्रसेनी, डोंगरगढ़ में बम