सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल 22, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ajj-kal

कलम की विनम्रता और पत्रकारिता के संस्कार मनोज कुमार साल के दो महीने खास होते हैं जिनमें पहला महीना अप्रेल का होता है। इस महीने पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, पंडित माधवराव सप्रे और राजेन्द्र माथुर के नाम है तो दूसरा महीना मई का है। मई की पहली तारीख श्रमजीवियों के नाम है जिसे हम मजदूर दिवस के नाम पर जानते हैं। इसी महीने की तीन तारीख को प्रेस दिवस है और तीस मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाते हैं। ये दोनों महीने बेहद अर्थवान हैं, खासकर पत्रकारिता के लिये। यहां मैं मीडिया षब्द से परहेज करने की कोषिष करूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि मीडिया का अर्थ पत्रकारिता से एकदम जुदा है। बहरहाल, हम पत्रकारिता के संदर्भ में बात करेंगे। पत्रकारिता के संदर्भ में दो बातें हैं कि इन दोनों महीनों की तारीख पत्रकारिता के पुरोधाओं से जुड़ी हुई है और इन तारीखों का सीधा संबंध कलम से है। मेरी बातें उलझी उलझी लग सकती हैं किन्तु इस पर जब विस्तार से लिखी गयी मेरी बातों को पढ़ेंगे, मनन करेंगे तो षायद आप भी मुझसे सहमत होंगे।     दादा माखनलाल की विष्व प्रसिद्व रचना है पुश्प की अभिलाशा। इस कविता में उन्होंने फूल की विन्रमता का