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निजता पर हमला और बदजुबानी का आम चुनाव 2014

मनोज कुमार वर्ष 2014 का चुनाव गरिमा खोते नेताओं के लिये याद रखा जाएगा तो यह चुनाव इस बात के लिये भी कभी विस्मृत नहीं किया जा सकेगा कि देश को अरविंद केजरीवाल जैसे मुद्दों पर राजनीति करने वाला गैर-पेशवर नेता मिला। इस बार के आम चुनाव में स्थापित राजनीति दल कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह मुद्दाविहिन रही। इनके पीछे खड़ी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी तो केवल उपस्थिति दर्ज कराती नजर आयीं। इन दोनों दलों का वैसा हस्तक्षेप आम चुनाव में नहीं देखने को मिला, जैसा कि पूर्ववर्ती चुनावों में हुआ करता था। अलबत्ता नई-नवेली आम आदमी पार्टी ने न केवल प्रजातांत्रिक रूप से सशक्त उपस्थिति दिखायी और हस्तक्षेप किया बल्कि कांग्रेस और भाजपा की परेशानी का सबब भी बन गयी। खैर, मुद्दाविहिन राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को भटकाने और भरमाने के लिये एक-दूसरे की निजता पर हमले करना शुरू किया। व्यक्तिगत हमले तो चुनाव के मैदान में पहले भी होते रहे हैं लेकिन जिस तरह से निजता पर हमला किया गया, वह दुर्र्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। हर नेता दूसरे नेता की बीवी को तलाशने में लगा था। किसने किसको छोड़ा, कौन किसक