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मई 9, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पाठ शाला

क्या जरूरी है कि हर फिल्में स्टूडेंट का शिक्षक से प्यार दिखाना? अभी अभी पाठशाला फिल्म देख रहा था। एक सामाजिक संदेश देती इस फिल्म में बहुत कुछ अच्छा है और अच्छा नहीं है तो एक छात्रा का अपने शिक्षक के प्रति प्रेम। मुझे बहुत ज्यादा तो याद नहीं है किन्तु राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर में शिक्षिका के प्यार में छात्र पड़ जाता है। दरअसल यह प्यार नहीं बल्कि जिस्मानी लगाव था। एक खूबसूरत स्त्री के बदन के प्रति लगाव। लगभग ऐसा ही कुछ शाहरूख खान ने अपनी फिल्म में भी दिखाया था। इस फिल्म में सुष्मिता सेन शिक्षिका और विद्यार्थी स्वयं शाहरूख खान थे। अब एक बार फिल्म इसी विषय का फिल्मांकन पाठशाला में देखने को मिला है। इसमें शाहिद कपूर शिक्षक की भूमिका में है और उसके कथित प्यार में उसकी एक स्टूडेंट डूबी हुई है। सवाल यह है कि आखिर फिल्मों का यह विषय क्यों होता है। यह सच है कि हम सब प्रोफेसर मटुकनाथ को नहीं भूले होंगे लेकिन ऐसे विषयों को फिल्मा कर हम इन चीजों को और बढ़ावा देने की कोशिश कर ते हैं जिसकी मैं तो निंदा करता हूं। सूचना के लिये बता दूं कि अभी भड़ास में एक खबर चल रही है जिसमें एक गुरू की नैतिकता पर स