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फ़रवरी 22, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बापू तेरे नाम

न बाप बड़ा न भैया…सबसे बड़ा रुपया…बापू मत रोना मनोज कुमार गुजरात से अभी अभी देशबन्धु के ईपेपर से ताजा खबर मिली है कि किसी समय बल्कि कुछ दिनों पहले तक शराबबंदी के लिये सराहे जाने वाले बापू की धरती पर अभी तो शराब की कुछ बूंदें गिराने की अनुमति मिल गयी है। इस अनुमति के साथ ही राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों में प्रसन्नता का माहौल है। शराब पीने की छूट देने के बाद सैलानियों का आना बढ़ गया है। जाहिर है कि राज्य सरकार का खजाना भी भरेगा लेकिन क्या किसी ने चिंता करने की कोशिश की है कि गुजरात की ख्याति गांधीजी से है और इस ख्याति को चार चांद लगाते हैं यहां की शराबबंदी। और जब वहां शराब पीने की छूट पहले चुनिंदा जगहों पर मिलेगी, फिर उसका विस्तार होगा और देखते ही देखते बापू की पुण्यभूमि भी शराब में डूब जाएगी। हालांकि मुझे नहीं मालूम की राज्य में किसी तरह की शराब पीने की कोई छूट पहले से है। जितना मैं जानता हूं और जितना जान पाया हूं तो गुजरात को लेकर एक खुशनुमा भाव मन में भर आता है। अपने तीस साल के पत्रकारीय जीवन में मैंने खबरों में पाया कि गुजरात हर आफत से खुद को बाहर निकालने की ताकत रखता है। प्राकृतिक आपद