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मार्च 14, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Aaj-Kal

इस परम्परा पर रोक लगे मनोज कुमार उत्तराखंड में कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और राज्यपाल ने उनके दावे पर भरोसा कर उन्हें सरकार बनाने का अवसर दिया। यह पूरी प्रक्रिया वैधानिक है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है सो नहीं हुयी। आपत्ति है तो इस बात की कि कांग्रेस ने बिना मुखिया तय किये ही सरकार बनाने का दावा कैसे ठोंक दिया। एक कांग्रेसी सांसद बहुगुणा को राज्य की कमान सौंप दी। बहुगुणा को कमान सौंपने पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है किन्तु आपत्ति इस बात को लेकर है कि वे पहले से सांसद थे और उनके मुख्यमंत्री बनाये जाने से दो उपचुनाव राज्य की जनता के मत्थे मढ़ दिया गया है। पहले वे कानूनी तौर पर छह माह के भीतर विधायक का चुनाव लड़ेंगे। इसके लिये भी कांग्रेस के निर्वाचित विधायक को इस्तीफा देना होगा। इस तरह दो उपचुनाव का खर्चा जनता के मत्थे कांग्रेस ने अपनी कलह मिटाने के लिये थोप दिया है। इस सबके बाद भी यह कोई नहीं कह सकता कि बहुगुणा की सरकार स्थिर होगी और जिन कांग्रेसियों को असंतोष है, वे समस्या नहीं खड़ी करेंगे। नेतृत्व का संकट कांग्रेस के समक्ष हमेशा से रहा है और इस संकट का समाध