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जून 16, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

gas trasadi

इस शहर को एक और इल्जाम न दो मनोज कुमार दिल्ली और भोपाल के अखबारों में खबर छपी है कि एंडरसन को भगाया नहीं जाता तो लोग उन्हें मार डालते। यह बयान भोपाल को एक और जख्म दे गया। इस इल्जाम को यह शहर नहीं सह पायेगा। भोपाल को जो लोग जानते हैं वे यह जानते हैं कि भोपाल के लोग जान देना जानते हैं, जान लेना नहीं। यदि ऐसा नहीं होता तो इन पच्चीस सालों से वे रोज मर मर कर नहीं जी रहे होते। यदि ऐसा नहीं होता तो पच्चीस साल बाद भी मुंह चिढ़ाती यूका का शानदार गेस्टहाउस यूंह ी आबाद नहीं रहता। जिन लोगों ने यह बयान दिया है, उन्होंने भोपाल की छाती को छलनी कर दिया है। पच्चीस बरस पहले देह में घुला जहर उन्हें धीमा धीमा मार रहा है लेकिन राजनीति और मीडिया जो रोज जहर उगल रहे हैं, उसे उसके दिल पर रोज जख्म हो रहे हैं। इस ताजे जख्म को कौन भरेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यह सच है कि सच को सामने आना चाहिए और यह भी सच है कि सच को सामने लाने के लिये ऐसे जख्म भोपाल को झेलना भी पड़ेगा लेकिन इस सच का क्या करें जो इल्जाम के रूप् में भोपाल की तहजीब और संस्कृति को तार तार कर जाता है। भोपाल एक शहर नहीं है बल्कि इस देश की गंगा-