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सितंबर 2, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लायसेंसी पत्रकार

-मनोज कुमार पत्रकारों को अब ट्रक ड्रायवर की तरह लायसेंस रखकर चलना होगा, यदि सरकार ने तय कर दिया कि पत्रकारों को भी डाक्टर और वकील की तरह लायसेंस लेना होगा. इस लायसेंस के लिये बकायदा परीक्षा भी पास करनी होगी. केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कह दिया है कि पत्रकारों को भी लायसेंस दिया जाना चाहिये और इसके लिये डाक्टर-इंजीनियर की तरह परीक्षा भी आयोजित होना चाहिये. इसके पहले प्रेस कांऊसिल के अध्यक्ष ने तो पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता तय करने के लिये एक कमेटी का गठन तक कर दिया है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई हर दल और हर नेता देता रहा है लेकिन जब जब उनके हितों पर चोट पहुंची है तो सबसे पहले नकेल डालने की कोशिश की गई. पश्चिम बंगाल में ममता बेनर्जी ने जो कुछ किया या कश्मीर और असम में जो कुछ हुआ, वह सब अभिव्यक्ति की आजादी में खलल डालने का उपक्रम है. पराधीन भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम लगाने की बात समझ में आती थी. अंग्रेजों को अपने हितों को बचाने के लिये ऐसा करना जरूरी हो सकता था किन्तु स्वाधीन भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण करने का अर्थ समझ