वो ना आए तोगुस्सा, वो आए तो भी

  प्रो. मनोज कुमार      अरे यार, क्या लिखते हैं? क्या छापते हैं? समझ में नहीं आता कैसी पत्रकारिता कर रहे हैं. सब बिक गए हैं. ढोल पीट रहे हैं...