सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर 4, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शिक्षा और दीक्षा

 शिक्षा और दीक्षा मनोज कुमार       आज हमारे पड़ोसी शर्माजी इस बात से प्रसन्न थे कि उनका बेटा शिक्षित हो गया. शिक्षित अर्थात उसने बीई की डिग्री हासिल कर ली. बेटे के स्नातक हो जाने की खुशी उनके चेहरे पर टपक रही थी. यह अस्वाभाविक भी नहीं है. एक डिग्री हासिल करने के लिए कई किसम के जतन करने पड़ते हैं. अपनी जरूरतों और खुशी को आले में रखकर बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है. और बच्चा जब सफलतापूर्वक डिग्री हासिल कर ले तो गर्व से सीना तन जाता है. उनके जाने के बाद एक पुराना सवाल भी मेरे सामने आ खड़ा हुआ कि क्या डिग्री हासिल कर लेना ही शिक्षा है? क्या डिग्री के बूते एक ठीकठाक नौकरी हासिल कर लेना ही शिक्षा है? मन के किसी कोने से आवाज आयी ये हो सकता है लेकिन यह पूरा नहीं है. फिर मैं ये सोचने लगा कि बोलचाल में हम शिक्षा-दीक्षा की बात करते हैं तो ये शिक्षा-दीक्षा क्या है? शिक्षा के साथ दीक्षा शब्द महज औपचारिकता के लिए जुड़ा हुआ है या इसका कोई अर्थ और भी है. अब यह सवाल शर्माजी के बेटे की डिग्री से मेरे लिए बड़ा हो गया. मैं शिक्षा-दीक्षा के गूढ़ अर्थ को समझने के लिए पहले स्वयं को तैयार करने लगा.