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जून 3, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जनजातीय संग्रहालय मध्यप्रदेश की पहचान एवं शान

संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा से सुनील मिश्र की बातचीत मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने प्रदेश में निवासरत जनजातियों की संस्कृति, उनके रहन-सहन पहनावे खेती-किसानी की पद्धति और उनके आध्यात्मिक लोक से नगरीय जीवन का परिचय कराने के उद्देश्य से की है। जनजातियों के जीवन से नगरीय सभ्यता को बहुत कुछ अभी सीखना बाकी है। हजारों वर्षों से जनजातियाँ थोड़े से संसाधनों में जीवन को रसपूर्ण जीती रही हैं। हमने अपने नगरीय जीवन में भौतिक संसाधनों को इतना अधिक एकत्र कर लिया है कि हमारे घरों में खुद के रहने के लिए जगह कम हो गई है। हमारे समाज में चारों ओर अजीब तरह की विद्रूपताएँ फैली हुई हैं। पूरा समाज एक तरह की गलाकाट प्रतियोगिता में संलिप्त है। इससे हमें यह तो समझना ही होगा कि संसाधनों का जीवन को रसपूर्ण बनाने में कोई विशेष योगदान नहीं है। हमारा सौभाग्य था कि हमें संस्कृति जैसा महकमा मिला। जनजातीय समुदायों और उनकी संस्कृति को नजदीक से देखने का अवसर मिला। मुझे ऐसा लगता है कि संग्रहालय जिन उद्देश्यों से बनाया गया है, आने वाले समय में उसकी सार्थकता नगरीय समाज में हमें देखने को मिलेगी। श