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#पीआर बोले तो #सोसायटी की #हार्टबीट है

पीआर बोले तो  सोसायटी की हार्टबीट है  मनोज कुमार अंग्रेजी के पब्लिक रिलेशन को जब आप अलग अलग कर समझने की कोशिश करते हैं तो पब्लिक अर्थात जन और रिलेशन अर्थात सम्पर्क होता है जिसे हिन्दी में जनसम्पर्क कहते हैं. रिलेशन अर्थात संबंधों के बिना समाज का तानाबाना नहीं बुना जा सकता है और इस दृष्टि से पब्लिक रिलेशन का केनवास इतना बड़ा है कि लगभग सभी विधा उसके आसपास या उसमें समाहित होती हैं. पब्लिक रिलेशन को लेकर भारत में आम धारणा है कि यह एक किस्म का सरकारी का काम होता है या सरकारी नौकरी पाने का एक जरिया होता है. कुछ लोग पब्लिक रिलेशन को जर्नलिज्म से अलग कर देखते हैं. वास्तविकता यह है कि वह भारत की सोसायटी हो या दुनिया के किसी देश की सोसायटी, इन्हें जीवंत रखने के लिए जर्नलिज्म जितना जरूरी है, उतना ही पब्लिक रिलेशन. हमारा मानना है कि सोसायटी एक नदी है और पब्लिक रिलेशन तथा जर्नलिज्म इस नदी के दो पाट हैं. दोनों साथ साथ चलते हैं लेकिन आपस में कभी मिल नहीं पाने की सच्चाई जितनी है, उतनी ही सच्चाई यह है कि नदी के अविरल बहने के लिए दो पाटों का होना जरूरी है. ठीक उसी तरह सोसायटी की जीवंतता के लिए प