समागम के ११ वर्ष

फरवरी-२०१२ में समागम का नया सफर नये साल के साथ आरंभ होगा। परम्परा ऐसे मौकों पर उत्सव मनाने की होती है किन्तु समागम किसी मंचीय उत्सव के पक्ष में नहीं है। जितना धन इन समारोह में होगा, उतने में पत्रिका के पन्नों में बढ़ोत्तरी कर कंटेंट को और सम्पन्न बनाया जा सकेगा। इस इरादे के साथ समागम के बारहवें वर्ष का पहला अंक सिनेमा के सौ साल पर केन्द्रित होगा।
उल्लेखनीय है कि फरवरी का बासंती महीने में सिनेमा अपनी उम्र के सौ बरस पूरे कर रही है और संयोग से समागम का भी एक नया पड़ाव शुरू होगा। इस संयोग को यादगार बनाने की दृष्टि से समागम का नया अंक सिनेमा के सौ साल पर होगा। करीब सौ पन्नों के इस अंक में सिनेमा का इतिहास, क्षेत्रीय सिनेमा एवं सिनेमा से जुड़े शोधपत्रों का प्रकाशन किया जा रहा है। सम्पादक मनोज कुमार ने इस अंक के लिये सिनेमा में रूचि रखने वालों से लिखने का आग्रह किया है।
अपने ग्यारह वर्षाें के सफर में समागम को मीडिया ने गंभीरता से लिया है। देश की बहुप्रतिष्ठित समाचार पत्रिका इंडिया टुडे ने १६ नवम्बर ११ के अंक में लिखा है - लगातार दस वर्षाें से मीडिया एवं सिनेमा पर द्विभाषी मासिक पत्रिका का बिन रूके प्रकाशित करना और वह भी हर अंक में विशेषज्ञों के पठनीय आलेखों के साथ प्रकाशित करना कोई हंसी-खेल नहीं है लेकिन मनोज कुमार ने अपने सुलझे हुए सम्पादन में यह कर दिखाया है। कुछ इसी भाव के साथ साहित्यकार महीपसिंह की पत्रिका संचेतना एवं मप्र शासन की मासिक पत्रिका पंचायिका में भी समागम का उल्लेख किया गया है। भोपाल से प्रकाशित रंग-संवाद पत्रिका ने लिखा है कि समागम के जरिये मौजूदा दौर के अनेक ज्वलंत मुद्दों पर मीडिया की दृष्टि और उससे जुड़े शोध को एक जरूरी मंच प्रदान किया है।
समागम का जनवरी अंक मीडिया और जनआंदोलन पर केन्द्रित है। यह अंक विशेष रूप से महात्मा गांधी को समर्पित है। ३० जनवरी उनकी पुण्यतिथि है और समागम मीडिया और जनआंदोलन के बहाने बापू को अपनी श्रद्वांजलि समर्पित कर रहा है। समागम के इसके पूर्व अनेक विशेष अंकों का प्रकाशन किया है जिसमें महात्मा गांधी की पत्रकारिता, आदिवासी पत्रकारिता, महिला, पर्यावरण, दलित, लता मंगेश्कर, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता आदि पर है।
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