मध्य प्रदेश में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. रोज गिरते चढ़ते सीन में कहीं यह लगने लगा था कि वर्तमान सरकार पर संकट के बादल हैं लेकिन अगले ही पल मामला कुछ और ही दिखने लगता है. खबर है कि आज सिंधिया बीजेपी के ह जाएंगे लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उनके समर्थक भाजपा जाने से बच रहे हैं. अब कौन किसके साथ रहेगा या कौन किसके साथ जाएगा, इसके लिए इंतज़ार करना होगा 13 मार्च का जब राजयसभा के लिए नामांकन हो जायेगा। इसके बाद एक दौर वह भी बचेगा जब विधायक वोट देने के लिए भोपाल में मौजूद रहेंगे। तब तक देखते रहिये मीडिया में चलती खबरें।
-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे। किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक...
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