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कला और संस्कृति

कलानगरी भोपाल में उठापटक जारीव्यंग्यकार शरद जोशी भोपाल के हैं और उन्होंने मध्यप्रदेश शासन के सम्मानों पर टिप्पणी करते हुए कोई दो दशक पहले कहा था कि भोपाल स्टेशन से गुजरते हुए डर लगता है कि कहीं कोई रोक कर सम्मानित न कर दे लेकिन इन दशकों में समय ने करवट ली है और अब लोग सम्मानित होने के लिये लाॅबिंग करने लगे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। अकादमी और परिषदों में बैठनेे के लिये संघ से जुड़ी पृष्ठभूमि की तलाश की जा रही है। हाल ही में विवाद में आये उस्ताद अलाउद्दीन खा संगीत अकादमी के मुखिया को जाना पड़ा। अब उनके दावेदारों की सूची लम्बी है। नये मुखिया के आगमन की तैयारिया में प्रतीक्षारत अकादमी ने पूरे भवन को चकाचक करने का फैसला कर लिया है और इस क्रम में पलनीतकरजी के रवाना होते ही सफाई शुरू करा दी है।
भटनागर अब कलावार्ता मेंराजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों के कारण रचनाकर्म से जुड़े लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और इसका ताजा उदाहरण कथाकार हरि भटनागर और आनंदप्रकाश सिन्हा हुए हैं। भटनागर हिन्दी साहित्य अकादमी की पत्रिका साक्षात्कार के लम्बे समय से संपादक थे। अचानक उन्हें हटाकर कलावार्ता का संपादक बना दिया गया है। इसी तरह कलावार्ता का काम देख रहे सम्पादक आनंदप्रकाश सिंहा को हटाकर साक्षात्कार का सम्पादक बना दिया गया है। इस बदलाव से पत्रिका के मिजाज में बदलाव हो न हो लेकिन सम्पादकों के तेवर जरूर बदले हुए हैं।

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-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक्शे

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