सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अपना राज्य

राज्यगीत एक अच्छी पहल
लगभग एक सप्ताह बाद मध्यप्रदेश अपनी एक और वर्षगांठ मनायेगा। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार को एक तरफ जहां लगातार पांच बार राज्योत्सव मनाने का अवसर मिला है वहीं भाजपा सरकार इस राज्योत्सव को एक नयी पहचान देने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की पहल पर फैसला लिया है कि राज्यगीत बनाया जाएगा। संभवतः मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा जहां इस तरह की पहल हो रही है। अभी तक किसी राज्य का कोई राज्यगीत जैसी परम्परा रही है। भाषाई विवाद से परे इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। राज्यगीत बने, इसका सभी स्वागत करेंगे किन्तु अपेक्षा होगी कि यह गीत किसी विचारधारा अथवा पार्टी प्रेरित न होकर राज्य को प्रतिबिम्बित करने वाला हो तो सुखकर होगा। यहां स्मरण दिलाना होगा कि भोपाल के लेखक एवं प्रोफेसर पुरूषोत्तम चक्रवर्ती ने काफी पहले एक ऐसा गीत तैयार किया है जिसमें सम्पूर्ण मध्यप्रदेश की झलक देखने को मिलती है। इस गीत का प्रकाशन संभवतः राज्य शिक्षा केन्द्र ने अपने किसी प्रकाशन में किया है। राज्यगीत बनना ऐतिहासिक कदम है और इसे इसी सोच के साथ बनाया जाना चाहिए। अपेक्षा होगी कि मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश से बाहर रह रहे बुद्विजीवी भी इस दिशा में सरकार को अपनी सलाह भेजें ताकि राज्यगीत मुकम्मल चेहरा पा सके।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़

-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक्शे

शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक

  शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक                                       स्वाधीनता संग्राम और महात्मा गांधी पर केन्द्रीत है.                      गांधी की बड़ी यात्रा, आंदोलन एवं मध्यप्रदेश में                                          उनका हस्तक्षेप  केन्दि्रय विषय है.

टेक्नो फ्रेंडली संवाद से स्वच्छत

मनोज कुमार           देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में जब इंदौर का बार-बार जिक्र करते हैं तो मध्यप्रदेश को अपने आप पर गर्व होता है, मध्यप्रदेश के कई शहर, छोटे जिलों को भी स्वच्छ भारत मिशन के लिए केन्द्र सरकार सम्मानित कर रही है. साल 2022 में मध्यप्रदेश ने देश के सबसे स्वच्छ राज्य का सम्मान प्राप्त किया। स्वच्छता का तमगा एक बार मिल सकता है लेकिन बार-बार मिले और वह अपनी पहचान कायम रखे, इसके लिए सतत रूप से निगरानी और संवाद की जरूरत होती है. कल्पना कीजिए कि मंडला से झाबुआ तक फैले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बैठकर कैसे निगरानी की जा सकती है? कैसे उन स्थानों में कार्य कर रही नगरपालिका,  नगर परिषद और नगर निगमों से संवाद बनाया जा सकता है? एकबारगी देखें तो काम मुश्किल है लेकिन ठान लें तो सब आसान है. और यह कहने-सुनने की बात नहीं है बल्कि प्रतिदिन मुख्यालय भोपाल में बैठे आला-अधिकारी मंडला हो, नीमच हो या झाबुआ, छोटे शहर हों या बड़े नगर निगम, सब स्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं और वहां कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों, सफाई मित्रों (मध्यप्रदेश में सफाई कर्मियों को अब सफाई मित्र कहा जाता है) के