सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एक माँ के लिए


एक मां के लिये

बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है
कभी सांची तो कभी अमूल का पैकेट लेकर आती है
रोज रोज बढ़ते दूध के दाम भी अम्मां को नहींे डरा पाती है
लल्ला को दूध पिलाने खुद भूखी रह जाती है
बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है
अम्मां की नहीं थी कोई आस, चिंता थी उसके पास
उसका लल्ला कब गबरू जवान बनेगा
मिट जाएगी उसकी चिंता
घड़ी बदली, घंटा बदला बदला जीवन का रेला
बैठ रेल में लल्ला चल पड़ा अकेला
अम्मा रह गयी अकेली लल्ला की यादों में
अम्मा तक रही रहा अभी अभी लल्ला आएगा और कह जाएगा
बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है

मनोज कुमार

टिप्पणियाँ

  1. पढ़ते हुए ऐसा लगा पंख लगा कर अभी यहाँ (सहर ) से गाँव अपने माँ के पास पहुच जाऊ और उसको बहुत बहुत प्यार करू उसके सरे गम को दूर कर हँसाने की हर संभव कोशिश करू. !! पर क्या करू क्या करू काया करू ??????????

    जवाब देंहटाएं
  2. dada mail kiya hai aur mere blog par bhi aapki kavita chipka di hai dekhiyega jaroor
    http://pungibaaj.blogspot.com/2010/05/blog-post_08.html

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही मार्मिक लेकिन सच है.. गुरुदेव को चरण स्पर्श

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही मार्मिक लेकिन सच है .. गुरुदेव को चरण स्पर्श

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़

-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक्शे

शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक

  शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक                                       स्वाधीनता संग्राम और महात्मा गांधी पर केन्द्रीत है.                      गांधी की बड़ी यात्रा, आंदोलन एवं मध्यप्रदेश में                                          उनका हस्तक्षेप  केन्दि्रय विषय है.

टेक्नो फ्रेंडली संवाद से स्वच्छत

मनोज कुमार           देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में जब इंदौर का बार-बार जिक्र करते हैं तो मध्यप्रदेश को अपने आप पर गर्व होता है, मध्यप्रदेश के कई शहर, छोटे जिलों को भी स्वच्छ भारत मिशन के लिए केन्द्र सरकार सम्मानित कर रही है. साल 2022 में मध्यप्रदेश ने देश के सबसे स्वच्छ राज्य का सम्मान प्राप्त किया। स्वच्छता का तमगा एक बार मिल सकता है लेकिन बार-बार मिले और वह अपनी पहचान कायम रखे, इसके लिए सतत रूप से निगरानी और संवाद की जरूरत होती है. कल्पना कीजिए कि मंडला से झाबुआ तक फैले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बैठकर कैसे निगरानी की जा सकती है? कैसे उन स्थानों में कार्य कर रही नगरपालिका,  नगर परिषद और नगर निगमों से संवाद बनाया जा सकता है? एकबारगी देखें तो काम मुश्किल है लेकिन ठान लें तो सब आसान है. और यह कहने-सुनने की बात नहीं है बल्कि प्रतिदिन मुख्यालय भोपाल में बैठे आला-अधिकारी मंडला हो, नीमच हो या झाबुआ, छोटे शहर हों या बड़े नगर निगम, सब स्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं और वहां कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों, सफाई मित्रों (मध्यप्रदेश में सफाई कर्मियों को अब सफाई मित्र कहा जाता है) के