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फ़रवरी 16, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

साक्षरता और परम्परा के मेल से बचेगा पानी

       -मनोज कुमार क रीब तीन दशकों से जल संकट को लेकर विश्वव्यापी बहस छिड़ चुकी है। यहां तक कहा जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी के मुद्दे पर लड़ा जायेगा। स्थिति की गंभीरता को नकारा नहीं जा सकता है। इस दिशा में राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर पहल कर रही हैं और जल संरक्षण की दिशा में नागरिकों को जागरूक बनाया जा रहा है। जल संरक्षण की दिशा में उपाय बरतने वाले प्रदेशों अपनी अपनी काल और स्थितियों के अनुरूप जतन कर रही हैं। इस श्रृंखला में हाल ही में केन्द्र सरकार ने जल साक्षरता अभियान चलाने की घोषणा की गई है। केन्द्र सरकार की घोषणा को उनके पहले घोषणा समग्र स्वच्छता से जोडक़र देखा जाना चाहिये। केन्द्र सरकार मूलभूत समस्याओं की तरफ नागरिकों की भागीदारी चाहती है तो इसका स्वागत किया जाना अनुचित नहीं होगा। किंतु केन्द्र सरकार जल साक्षरता अभियान कैस चलायेगी, उसका स्वरूप क्या होगा और क्या नागरिक सरकार के इन प्रयासों में अपनी भागीदारी पूरा करेगी। सवाल अनेक हैं लेकिन इसके पहले हमें उन मुद्दों पर जाकर पड़ताल करनी होगी कि केन्द्र सरकार के जल साक्षरता अभियान को पूर्ण करने में क्या दिक्कतें हैं।