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मई 19, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
छत्तीसगढ़ की परम्परा और संस्कृति की संवाहक फिल्म मया के बरखा 21 को पर्दे पर उतरेगी छत्तीसगढ़ के रूचिवान सिने दर्शकों के लिये के लिये 21 मई 2010 का दिन खास महत्व का होगा। इस दिन अपने लोगों की अपनी बोली में भव्य फीचर फिल्म मया के बरखा रिलीज होगी। मया के बरखा छत्तीसगढ़ की गुरतुर बोली की पहली फिल्म नहीं है लेकिन पहली नहीं होने के बाद भी यह फिल्म कई मायनों में अलग ही महत्व रखती है। इस फिल्म में मुंबई के नामचीन कलाकारों का दखल है तो हबीब तनवीर की टीम के सहज और माटी से जुड़े किरदारों का सहज अभिनय भी। अपनी माटी और अपने लोगों की इस फिल्म का नाम मया के बरखा है। यह पूरी तरह फ्यूजन नहीं है किन्तु देशज की सुगंध दूर दूर तक छत्तीसगढ़ की माटी को महकाएगी। दुर्गा मीडिया साफ्टवेयर के बेनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन आशीष श्रीवास्तव ने किया है। इस फिल्म में प्राकृतिक रूप से धनवान छत्तीसगढ़ की परम्पराएं, संस्कृति, नदियों, कल कारखानों और उन सभी दृश्यों को जीवंत करने की कोशिश की है जिसके बूते छत्तीसगढ़ पूरी दुनिया में अलग से पहचाना जाता है। छत्तीसगढ़ की माटी में अनेक प्रेम कहानियां दर्ज हैं और यह दर्ज है कि प्रेम