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मई 8, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक माँ के लिए

एक मां के लिये बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है कभी सांची तो कभी अमूल का पैकेट लेकर आती है रोज रोज बढ़ते दूध के दाम भी अम्मां को नहींे डरा पाती है लल्ला को दूध पिलाने खुद भूखी रह जाती है बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है अम्मां की नहीं थी कोई आस, चिंता थी उसके पास उसका लल्ला कब गबरू जवान बनेगा मिट जाएगी उसकी चिंता घड़ी बदली, घंटा बदला बदला जीवन का रेला बैठ रेल में लल्ला चल पड़ा अकेला अम्मा रह गयी अकेली लल्ला की यादों में अम्मा तक रही रहा अभी अभी लल्ला आएगा और कह जाएगा बड़ी भली है अम्मा मेरी मुझको रोज ताजा दूध पिलाती है मनोज कुमार