अपना -अपना सा लागे हैं शिवराजसिंह
-मनोज कुमार शिवराजसिंह चौहान को आप किस रूप में देखते हैं? यह सवाल आपसे पूछा जाए तो स्वाभाविक रूप से जवाब होगा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लेकिन इससे आगे आपसे पूछा जाए कि एक आम आदमी के रूप में क्यों नहीं तो जवाब देने में थोड़ा वक्त लग सकता है. इस सवाल का जवाब देने में वक्त लगना स्वाभाविक है क्योंकि जिस कालखंड में हम जी रहे हैं अथवा पिछला समय हमने जो गुजारा है, उसमें व्यक्ति को उसके गुणों से नहीं बल्कि उसके पद और पद की हैसियत से पहचाना है. स्वाभाविक है कि शिवराजसिंह चौहान की पहचान एक मुख्यमंत्री के रूप में है और इतिहास के पन्नों में भी उन्हें इसी पहचान के साथ दर्ज किया जाएगा लेकिन सच तो यह है कि अपना सा लगने वाला यह मुख्यमंत्री हमारे बीच का, आज भी अपना सा ही है. शिवराजसिंह के चेहरे पर तेज है तो कामयाबी का लेकिन मुख्यमंत्री होने का गरूर नहीं, चेहरे पर राजनेता की छाप नहीं. सत्ता के शीर्ष पर बैठने की उनकी कभी शर्त नहीं रही बल्कि उनका संकल्प था प्रदेश की बेहतरी का. वे राजनीति में आने से पहले भी आम आदमी की आवाज उठाने में कभी पीछे नहीं रहे. वे किसी विचारधारा के प्रवर्