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नवंबर 12, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इतना सन्नाटा क्यों है भाई?

- मनोज कुमार चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है. बयानवीर भी कहीं दुबक गए हैं. छिप गए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबकी ऐसी बोलती बंद की है कि किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा है कि क्या बोलें? बात बात पर मोदी को कटघरे में खड़ा करने वाले कांग्रेस और आप के नेताओं की बोली तो खुल ही नहीं रही है, भाजपा के लोगों में भी खामोशी हैरान कर रही है. जिन लोगों को लगता है कि मोदी का कालेधन की समाप्ति के खिलाफ यह बड़ा फैसला है तो उन्हें खुलकर साथ खड़े होना चाहिए था और जिन लोगों को लगता है कि मोदी का यह फैसला देशहित में नहीं है तो उन्हें भी अपनी बात तर्क के साथ रखना चाहिए था. लेकिन कोई खुलकर नहीं बोल रहा है. इसका मतलब तो यह हुआ कि मोदी जी का फैसला देशहित में है और सत्ता पक्ष और विपक्ष, खामोशी के साथ मोदीजी के लिए खड़ा हो गया है. यदि ऐसा है तो यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए शुभ संकेत है. हो सकता है कि सदमे से उबरने के बाद लोगों के मुंह खुले. अभी तो सदमा लगा है. चुनाव में कालेधन के उपयोग की बात अब किसी से छिपी नहीं है. राजनीतिक दलों को बेहिसाब चंदा देने वाले उद्योगपति अपने