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अक्तूबर 24, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Sarokar

नशे के खिलाफ आम आदमी के साथ सरकार अनामिका छत्तीसगढ़ में नशे के खिलाफ स्त्रियों ने हमेशा से आगे आकर मोर्चा खोला है। नब्बे के दशक में शराब के खिलाफ जो अभियान छेड़ा गया था, उसकी गूंज आज भी सुनायी दे रही है। छत्तीसगढ़ संभवत: देश का पहला राज्य है जहां शराबबंदी के लिये किये गये आंदोलन पर किसी वि·ाविद्यालय में पीएचडी की गई हो। वैसे भी नशा किसी भी किस्म का हो, वह स्वास्थ्य के साथ समाज के विकास में बाधक होता है। नशा एक सामाजिक बुराई है। नशे के खिलाफ हम महापुरूषों की जयंती अथवा पुण्यतिथि पर बात कर लेते हैं और इसके बाद भूल जाते हैं। नशे के खिलाफ एक सुनियोजित लड़ाई लड़ना वर्तमान समय की जरूरत है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में तो इसकी जरूरत कहीं अधिक है। एक दशक पहले बने इस राज्य में विकास की अपार संभावनाएं हैं किन्तु नशे में गुम युवा शक्ति इन संभावनाओं को धूमिल कर सकती है। नशे में युवा स्वयं को गुमराह तो करते ही हैं, उनका उपयोग समाज के विकास में हो सकता है, वह भी रूक जाता है। राज्य सरकार ने इस बात को शिद्दत से महसूस किया और समय रहते इलाज करने की भी ठानी। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ अभियान शुरू क