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एक नदी का उल्लास से भर जाना

-अनामिका मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां स्वरूपा नर्मदा नदी उल्लास से भर गई होगी। यह स्वाभाविक भी है। मां अपने बेटों से क्या चाहती है? अपनों से दुलार और दुलार में जब पूरा समाज सेवा के लिए खड़ा हो जाए तो मां नर्मदा का पुलकित होना, उल्लास से भर जाना सहज और स्वाभाविक है। दुनिया में पहली बार किसी नदी को प्रदूषित होने से पहले बचाने का उपक्रम किया गया। कहने को तो इस दिशा में सरकार ने पहल की लेकिन सरकार के साथ जनमानस ने नर्मदा सेवा यात्रा को एक आंदोलन का स्वरूप दे दिया। चारों ओर से गूंज उठने लगी कि मां नर्मदा की सेवा का संकल्प लिया है। उसे प्रदूषित नहीं होने देंगे। यह अपने आपमें अंचभित कर देने वाला आयोजन था जो भारतीय समाज की जीवनशैली को एक नया स्वरूप देता है। एक नई पहचान मिलती है कि कैसे हम अपने जीवन के अनिवार्य तत्वों को बचा सकते हैं। स्मरण हो आता है कि हमारे ही देश भारत में किसी राज्य सरकार ने नदी का सौदा-सुलह कर लिया था और हम मध्यप्रदेशवासी किसी कीमत पर ऐसा नहीं कर सकते हैं। नमामी नर्मदा सेवा यात्रा इसका जीवंत प्रमाण है। भारतीय संस्$कृति में जीवन के लिए पांच तत्वों को माना