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दिसंबर 14, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रायपुर साहित्य महोत्सव : एक अविस्मरणीय आयोजन के तीन दिन

-मनोज कुमार जाते हुये साल 2014 के लिये छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थापित पुरखौती मुक्तांगन अविस्मरणीय यादें छोड़ गया। ऐसी यादें जिसकी कसक अगले आयोजन की प्रतीक्षा में बनी रहेगी। राज्य सरकार की पहल पर छत्तीसगढ़ मुक्तांगन में देशभर के सुप्रतिष्ठित रचनाधर्मियों का समागम का हुआ। अपनी अपनी विधा के दक्ष रचनाधर्मियों ने एक ऐसे रचना संसार को अभिव्यक्ति दी जहां विचारों में विभिन्नता थी, असहमतियां भी थी लेकिन इसके बीच एक नयेे विचार का जन्म हुआ जो छत्तीसगढ़ की रचनाधर्मिता को और भी समृद्ध करेगी। शायद इसलिये ही इस अविस्मरणीय साहित्य समागम के उद्घघाटन में मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह कहते हैं कि विचारों में भिन्नता हो सकती है, लेकिन वैचारिक विभिन्नताओं में ही नये विचारों के अंकुर खिलते हैं. हमें नये विचारों का हमेशा स्वागत करना चाहिए, सबके विचारों को और असहमति अथवा विरोध को भी सुनना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह का यह वक्तव्य महज रस्मी वक्तव्य नहीं है बल्कि इसके गहरे अर्थ हैं और अर्थ इस संदर्भ में कि छत्तीसगढ़ एक खुलेमन का राज्य है जहां वैचारिक विभिन्नता को और असहमतियों को सम्मान के सा