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मार्च 14, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

#मध्यप्रदेश का #सियासी ड्रामा #चरम पर

आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना और आशंका दोनों ही थी. थोडे इंतजार के बाद ही सही गर्वनर ने कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए खत भेज ही दिया. यह तो होना ही था, ऐसी बात राजनीतिक विशलेषक  का पहले से ही अनुमान था. मध्यप्रदेश की राजनीति में संविद सरकार के बाद यह दूसरा अवसर होगा जब इस तरह से राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल रहा है. इस फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ के लम्बे अनुभव की परीक्षा होगी और दिग्विजयसिंह की भी. फौरीतौर पर राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि कमलनाथ सरकार का प्रबंधन फेल हो चुका है और कदाचित उनकी सरकार गिरने की स्थिति में है. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले कुछ कहना जल्दबाजी होगी. भाजपा जिस आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है, उससे उन्हें अपनी जीत का भरोसा है.  मध्यप्रदेश में यह राजनीतिक बखेड़ा के लिए राजनीतिक विश£ेषलक राज्यसभा सीट को मानते हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया को समय से प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी दी जाती या फिर सिर पर खड़े राज्यसभा के लिए उन्हें राजी कर लिया जाता तो ना वे कांग्रेस से पलायन करते और ना ही नाथ सरकार के समक्ष यह राजनीतिक संकट उत्पन्न होता. कमलनाथ के बारे में विशले

ऊंट किस करवट बैठेगा

मध्य प्रदेश का राजैनितक पारा उतरने का नाम नहीं ले रहा है. कमलनाथ सरकार को लेकर कयासों  बाज़ार गर्म है लेकिन कोई भी दावे से यह कहने की हालत में नहीं है कि राज्य में सरकार बची रहेगी या बीजेपी सरकार बना पाएगी। कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह का जो कॉन्फिडेंस दिख रहा है, उसके मुताबिक़ संकट  नहीं है लेकिन अमित शाह के हस्तक्षेप की खबरों ने नींद उड़ा दी है. बागी विधायकों की वापसी पर दारोमदार टिका है.