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नवंबर 9, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खबर की कीमत तो तय होने दीजिये जनाब!

मनोज  कुमार  कि सी भी अखबार के पहले पन्ने पर लीड स्टोरी का मूल्य क्या होगा? बाॅटमस्टोरी महंगी होगी या फिर सिटी पेज की स्टोरी की कीमत अधिक होती है? 9बजे प्राइम टाइम पर प्रसारित होने वाला कौन सा समाचार किस कीमत पर बेचाजाएगा अथवा रेडियो पर प्रसारित होने वाली खबरों की भी कोई कीमत आप लगासकते हैं? प्रधानमंत्री जी का वक्तव्य महंगा होगा या बिपाषा बसु के बारेमें बतायी जा रही खबर की भी कोई कीमत हो सकती? आप सोच रहे होंगे कि यहकैसा बेहूदा सवाल है। भला खबर की भी कोई कीमत आंकी जा सकती है? मैं भीआपकी तरह ही सोचता हूं कि पत्रकारिता कभी भी व्यवसायिक नहीं हो सकती हैकिन्तु जब सब तरफ ढोल पीटा जा रहा है कि पत्रकारिता व्यवासायिक हो गई हैतब यह सवाल जरूरी हो जाता है। मुझे यह भी नहीं मालूम कि मेरी इस राय सेकितने लोग इत्त्ेाफाक रखते हैं लेकिन मेरी अपनी राय है कि पत्रकारिता न तो आजादी के पहले व्यवसायिक थी और न आज व्यवसायिक हुई है। आजादी के समय थोड़ी और आजादी के बाद बदलते दौर में समाचार पत्रों का व्यवासायीकरण तेजी से हुआ है। तकनीक के विस्तार के साथ समाचार पत्रों की छपाई का खर्च बढ़ता गया और पाठक को उपभोक्ता

हतप्रभ कर देने वाला फैसला

प्रधानमंत्री मोदी का यह फैसला दूरगामी परिणाम देने वाला है. सबसे पहले तो इस फैसले से आतंकवाद की कमर टूट जाएगी. उन्हें पालने के लिए जो धन गलत रास्ते से आता-जाता था, उस रास्ते को मोदी ने हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया है. पाकिस्तान को ऐसा ही जवाब दिए जाने की उम्मीद थी और मोदीजी ने देश की उम्मीद को पूरा किया है.  दूसरा असर जमाखोरों और कालाधन रखने वालों पर पड़ेगा. करोड़ों बेनामी रखने वालों की रात की नींद उड गयी है. हतप्रभ कर देने वाला यह फैसला एकाएक लिया गया और मोदीजी ने इसकी भनक मीडिया तक को नहीं लगने दी. ऐसे समय में फैसला सुनाया कि किसी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था. एक समय कहावत सुनते थे कि सडक़ पर आ जाना. आज मोदीजी के फैसले के बरक्श देख भी लिया कि सडक़ पर आना किसे कहते हैं. प्रधानमंत्री के इस फैसले में सबकुछ ठीक है, कहना भी अतिरेक होगा. इसमें उन सारे लोगोंं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जो रोज कमाते और रोज खाते हैं. मजदूरी में उन्हें छुट्टे पैसे नहीं मिलते हैं और दो-तीन की मजदूरी एक साथ या फिर हफ्ते में एक बार दी जाती है. स्वाभाविक है कि मजदूरी के रूप में मिलने वाली राशि सौ रुपय