मनोज कुमार कि सी भी अखबार के पहले पन्ने पर लीड स्टोरी का मूल्य क्या होगा? बाॅटमस्टोरी महंगी होगी या फिर सिटी पेज की स्टोरी की कीमत अधिक होती है? 9बजे प्राइम टाइम पर प्रसारित होने वाला कौन सा समाचार किस कीमत पर बेचाजाएगा अथवा रेडियो पर प्रसारित होने वाली खबरों की भी कोई कीमत आप लगासकते हैं? प्रधानमंत्री जी का वक्तव्य महंगा होगा या बिपाषा बसु के बारेमें बतायी जा रही खबर की भी कोई कीमत हो सकती? आप सोच रहे होंगे कि यहकैसा बेहूदा सवाल है। भला खबर की भी कोई कीमत आंकी जा सकती है? मैं भीआपकी तरह ही सोचता हूं कि पत्रकारिता कभी भी व्यवसायिक नहीं हो सकती हैकिन्तु जब सब तरफ ढोल पीटा जा रहा है कि पत्रकारिता व्यवासायिक हो गई हैतब यह सवाल जरूरी हो जाता है। मुझे यह भी नहीं मालूम कि मेरी इस राय सेकितने लोग इत्त्ेाफाक रखते हैं लेकिन मेरी अपनी राय है कि पत्रकारिता न तो आजादी के पहले व्यवसायिक थी और न आज व्यवसायिक हुई है। आजादी के समय थोड़ी और आजादी के बाद बदलते दौर में समाचार पत्रों का व्यवासायीकरण तेजी से हुआ है। तकनीक के विस्तार के साथ समाचार पत्रों की छपाई का खर्च बढ़ता गया और पाठक को...
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