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अप्रैल 4, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पेड़ news

रसीद कटा लो...रसीद मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया अध्येता इन दिनों पेड न्यूज को लेकर हर मंच पर विलाप किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि पेड न्यूज के इस मसले के चलते पूरी मीडिया के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग गया है। पेड न्यूज का मामला कांग्रेस के अशोक चव्हाण के उस चुनावी केम्पन का हिस्सा है जिसमें उनकी इमेज बिÏल्डग करती हुए एक जैसी खबरें अनेक अखबारों में सम्पादकों और संवाददाताओं के नाम से प्रकाशित हुई है। नेता, सरकार और कम्पनियों की इमेज बिÏल्डग करने वाला मीडिया केम्पन आजादी के बाद इस देश में एक बार नहीं, बार बार हुआ है और हो रहा है और शायद भविष्य में यह केम्पन और विस्तार पायेगा। पेड न्यूज के बारे में एक सवाल मेरे जेहन में बार बार कौंध रहा है वह यह कि आखिर आप किसे पेड न्यूज बता रहे हैं? पेड यानि भुगतान अर्थात जिस खबर/रिपोर्ट को लेकर हंगामा मचा है, विलाप किया जा रहा है, वह खबर कितने में बिकी, इस सवाल का जवाब न तो किसी ने मांगा और न कहीं दिया गया है। अंग्रेजी के शब्द पेड का जो सामान्य सा अर्थ मुझे समझ आता है, उसका मतलब तो यही है कि भुगतान किया जाना और जिस वस्तु का क्रय किया जाता है