सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल 20, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

bachpan bachye

बचपन को ईमानदार बनाना जरूरी -मनोज कुमार अन्ना हजारे ने बेइमानों के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। देखते ही देखते सैकड़ों लोग उनके मुरीद हो गये हैं। अपनी बात कहने के पहले अन्ना हजारें को मेरा सलाम। इस मुहिम से जुड़े कितने लोगों का यह मालूम है कि वास्तव में भ्रश्टाचार होता क्या है? पहली बात तो यह कि जो लोग अन्ना हजारे के साथ बेइमानों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं अथवा हो गये हैं, उनमें से ऐसे कितने लोग हैं जो राषनकार्ड बनवाने, रेल में आरक्षण पाने, टेलीफोन के बिल पटाने में बचने की कोषिष, बिजली की चोरी या ऐसे ही रोजमर्रा की जरूरत को जल्द से जल्द निपटा लेेने के लिये रिष्वत नहीं दिया है? मेरे खयाल में कुछ प्रतिषत को ऐसे लोग होंगे किन्तु इनकी संख्या मुट़ठी भर होगी और उन लोगों की तादात अधिक होगी जो कहेंगे कि बेइमानी तो अब हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है यानि भ्रश्टाचार को षिश्टाचार मानने और बताने वालों की संख्या अधिक है। क्या हम ऐसा सोचकर अथवा अपना समय बचाने के लिये जो बेइमानी कर रहे हैं, क्या वह इस मिषन के खिलाफ नहीं है। दरअसल जीवन में बहुत सारी ऐसी गलतियां हम करते हैं और कर रहे हैं जिन्हें हम बेइमानी