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नवंबर 25, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Aaj-Kal

यह थप्पड़ लोकतंत्र पर है, पवार पर नहीं मनोज कुमार महंगाई और भ्रष्टाचार से परेशान एक नौजवान ने देश के कृषिमंत्री को थप्पड़ जड़ दिया। कृषिमंत्री को लगा यह थप्पड़ दरअसल किसी मंत्री का मामला नहीं है बल्कि समूचे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर थप्पड़ पड़ने का मामला है। देश में फैल रहे अराजकता की यह गूंज है और इस गूंज के लिये कहीं न कही अण्णा हजारे जवाबदार हैं। अण्णा हजारे ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगु फूंका तो एकबारगी पूरा देश उनके साथ हो लिया था। इस बात से कोई असहमत नहीं हो सकता कि समूचा देश भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुका है किन्तु चार दिन पहले अण्णा ने जब हिटलरी अंदाज में शराब पीने वालों को पेड़ से बांधकर पीटने की बात कही तो लोगों को इस तथाकथित गांधी से हिटलर की बदबू आने लगी। उनकी बातों ने देश में अराजकता का माहौल बना दिया है। और ताजा मामला इसी की बानगी है। उनके ताजा बयान को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा है कि बस एक ही थप्पड़, उनकी सोच को सार्वजनिक करता है। याद रखा जाना चाहिए कि जो लोग अण्णा के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हैं उनमें अधिकांश युवा वर्ग हैं और किसी भी सार्वजनिक मंच पर