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अगस्त 11, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वाधीनता संघर्ष की महक छत्तीसगढ़ की मिट्टी में

-मनोज कुमार हिन्दुस्तान के स्वाधीनता संग्राम में छत्तीसगढ़ के अतुलनीय योगदान की महक छत्तीसगढ़ की मिट्टी में आज भी रची-बसी है. 66 बरस हो गये हिन्दुस्तान को आजाद हुये और इन बरसों में छत्तीसगढ़ विकास के पथ पर दौड़ पड़ा है. इस दौड़ में वह अपने सुनहरे अतीत को हमेशा साथ लेकर चला है. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के वीर सपूतों का स्मरण समय समय पर किया जाता रहा है. यह छत्तीसगढ़ की मिट्टी का ही प्रताप है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुण्य कदम इस धरती पर पड़े और उन्हें यहां एक और गांधी मिला जिसे दुनिया ने पंडित सुंदरलाल शर्मा के नाम से जाना. गांधीजी के अछूतोद्धार अभियान में साथ निकल पड़े पंडित सुंदरलाल शर्मा के कार्यों ने गांधीजी को मोहित कर दिया था. स्वाधीनता संग्राम के सुनहरे पन्नों पर यादों की ऐसी श्रृंखला है जिसके स्मरण मात्र से ही शरीर रोमांच से भर जाता है. शहीद वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिये थे. जिस साहस का परिचय वीर नारायण सिंह ने दिया, वह इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गया. नाकाम अंग्रेजों को वीर नारायणसिंह से दो दो हाथ करने का साहस नहीं था इसलिये उन्हें वीर